शायरी एक सशक्त माध्यम है, जो हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करने में हमारी मदद करता है। विशेष रूप से आँखों पर लिखी गई शायरी, जिसमें प्यार, दर्द, खुशी और उदासी सभी एक साथ झलकते हैं, हमारे दिल के सबसे नजदीकी अनुभवों को बयां करती है। खूबसूरत आँखों की शायरी में वो जादू है, जो हमारे दिल की धड़कनों को तेज कर देती है और हमें उन भावनाओं से जोड़ती है, जिन्हें हम शायद शब्दों में बयां नहीं कर पाते।
Top 60+ Aankhein Shayari in Hindi | आँख पर ख़ूबसूरत शेर
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपको ऐसी ही दिल को छू लेने वाली शायरी प्रस्तुत करेंगे, जो आपकी भावनाओं को नए अंदाज़ में प्रकट करेगी। यहाँ आपको मिलेगी सबसे बेहतरीन और आकर्षक "आँखों की तारीफ में शायरी", जो न केवल आपके दिल को छू लेगी, बल्कि आपको एक नई दृष्टि से अपने प्यार और भावनाओं को समझने का मौका भी देगी।अगर आप अपने प्रियजनों के लिए कुछ खास और सजीव शब्दों की तलाश में हैं, या फिर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रेरणा की जरूरत है, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए है। यहाँ दी गई शायरी आपको उन अनकही कहानियों को उजागर करने में मदद करेगी, जो आपकी नज़रें कहना चाहती हैं। इस पोस्ट के अंत तक, आप पाएंगे कि आपके पास न केवल शब्दों का एक नया भंडार है, बल्कि एक नई दृष्टि भी है, जिससे आप अपनी भावनाओं को और भी खूबसूरती से व्यक्त कर सकते हैं।
तो तैयार हो जाइए, इस दिलकश यात्रा पर जाने के लिए, जहाँ हर शायरी के साथ आप अपने दिल की गहराइयों में उतरेंगे और पाएंगे वो शब्द, जो आपकी नज़रों की भाषा को एक नया रूप देंगे।
Aankhein Shayari in Hindi | आँख पर ख़ूबसूरत शेर |
जब नज़रें कहें दिल की बातें (दिल को छू लेने वाली खूबसूरत आँखों की शायरी )
उठती नहीं है आँख किसी और की तरफ,
पाबन्द कर गयी है किसी की नजर मुझे,
ईमान की तो ये है कि ईमान अब कहाँ,
काफ़िर बना गई तेरी काफ़िर-नज़र मुझे।
महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है,
नींद के सफर में तू एक ख्वाब जैसा है,
दो घूँट पी लेने दे आँखों के इस प्याले से,
नशा तेरी आँखों का शराब जैसा है।
नशा जरूरी है ज़िन्दगी के लिए,
पर सिर्फ शराब ही नहीं है बेखुदी के लिए,
किसी की मस्त निगाहों में डूब जाओ,
बड़ा हसीं समंदर है ख़ुदकुशी के लिए।
आँखों की तारीफ में शायरी इन हिन्दी
इश्क के फूल खिलते हैं तेरी खूबसूरत आँखों में,
जहाँ देखे तू एक नजर वहाँ खुशबू बिखर जाए।
बिना पूछे ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियाँ,
कुछ आँखें इतनी हाज़िर-जवाब होती हैं।
तेरी आँखों की तौहीन नहीं तो और क्या है यह,
मैंने देखा तेरे चाहने वाले कल शराब पी रहे थे।
क्या कहें, क्या क्या किया, तेरी निगाहों ने सुलूक,
दिल में आईं दिल में ठहरीं दिल में पैकाँ हो गईं।
जब भी देखूं तो नज़रें चुरा लेती है वो,
मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी।
यह मुस्कुराती हुई आँखें
जिनमें रक्स करती है बहार,
शफक की, गुल की,
बिजलियों की शोखियाँ लिये हुए।
इतने सवाल थे मेरे पास कि
मेरी उम्र से न सिमट सके,
जितने जवाब थे तेरे पास सभी
तेरी एक निगाह में आ गए। ऐ वाइज़-ए-नादाँ करता है
तू एक क़यामत का चर्चा,
यहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं
यहाँ रोज़ क़यामत होती है।
उस की आँखों में नज़र आता था
सारा जहाँ मुझ को,
अफ़सोस उन आँखों में कभी
खुद को नहीं देखा मैंने।
उस घड़ी देखो उनका आलम
नींद से जब हों बोझल आँखें,
कौन मेरी नजर में समाये
देखी हैं मैंने तुम्हारी आँखें।
तुम्हीं कहते थे कि यह मसले
नजर मिलने से सुलझेंगे,
नजर की बात है तो फिर
यह लब खामोश रहने दो।
अगर कुछ सीखना ही है,
तो आँखों को पढ़ना सीख लो,
वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो,
हजारों निकाल लेते है।
जाने क्यों डूब जाता हूँ हर बार इन्हें देख कर,
इक दरिया हैं या पूरा समंदर हैं तेरी आँखें।
निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।
बहुत बेबाक आँखों में ताल्लुक टिक नहीं पाता,
मोहब्बत में कशिश रखने को शर्माना जरूरी है।
मैं डर रहा हूँ तुम्हारी नशीली आँखों से,
कि लूट लें न किसी रोज़ कुछ पिला के मुझे।
साकी को गिला है कि उसकी बिकती नहीं शराब,
और एक तेरी आँखें हैं कि होश में आने नहीं देती।
दिल को छू लेने वाली खूबसूरत आँखों की शायरी
सुबह तो हो गई पर ये अभी आँख भारी है,
ख्बाव कोई नशे सा अब तक आँखों में है।
एक सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो-इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आंखों में है ये दिल में है।
उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।
मस्त आंखों पर घनी पलकों की छाया यूँ थी,
जैसे कि हो मैखाने पर घरघोर घटा छाई हुई।
लोग कहते हैं जिन्हें नील कंवल वो तो क़तील,
शब को इन झील सी आँखों में खिला करते है।
अदा निगाहों से होता है फर्जे-गोयाई,
जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।
कभी बैठा के सामने पूछेंगे तेरी आँखों से,
किसने सिखाया है इन्हें हर दिल में उतर जाना।
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने,
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर।
खुलते हैं मुझ पे राज कई इस जहान के,
उसकी हसीन आँखों में जब झाँकता हूँ मैं।
जाती है इस झील की गहराई कहाँ तक,
आँखों में तेरी डूब के देखेंगे किसी रोज।
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का,
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का।
अब तक मेरी यादों से मिटाए नहीं मिटता,
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तेरी आँखें।
आँख पर ख़ूबसूरत शेर
मेरे होठों ने हर बात छुपा कर रखी थी,
आँखों को ये हुनर कभी आया ही नहीं।
मेरी आँखों में झाँकने से पहले,
जरा सोच लीजिये ऐ हुजूर...
जो हमने पलके झुका ली तो कयामत होगी,
और हमने नजरें मिला ली तो मुहब्बत होगी।
महफिल अजीब है, ना ये मंजर अजीब है,
जो उसने चलाया वो खंजर अजीब है,
ना डूबने देता है, ना उबरने देता है,
उसकी आँखों का वो समंदर अजीब है।
तेरी निगाह से ऐसी शराब पी मैंने,
फिर न होश का दावा किया कभी मैंने,
वो और होंगे जिन्हें मौत आ गई होगी,
निगाह-ए-यार से पाई है जिन्दगी मैंने।
फिर न कीजे मेरी गुस्ताख निगाहों का गिला,
देखिये आपने फिर प्यार से देखा मुझको।
सौ सौ उम्मीदें बंधती है, इक-इक निगाह पर,
मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई।
क्या पूछते हो शोख निगाहों का माजरा,
दो तीर थे जो मेरे जिगर में उतर गये।
निगाहे-लुत्फ से इक बार मुझको देख लेते है,
मुझे बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है।
कुछ नहीं कहती निगाहें मगर,
बात पहुँची है कहाँ से कहाँ।
उतर चुकी है मेरी रूह में किसी की निगाह,
तड़प रही है मेरी ज़िंदगी किसी के लिए।
मैं उम्र भर जिनका न कोई दे सका जवाब,
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।
बस इक लतीफ तबस्सुम बस इक हसीन नजर,
मरीजे-गम की हालत सुधर तो सकती है।
नजर जिसकी तरफ करके निगाहें फेर लेते हो,
कयामत तक उस दिल की परेशानी नहीं जाती।
वह नजर उठ गई जब सरे मैकदा,
खुद-ब-खुद जाम से जाम टकरा गये।
शामिल है इसमें तेरी नजर के सरूर भी,
पीने न दूँगा गैर को मैं अपने जाम से।
मिली जब भी नजर उनसे, धड़कता है हमारा दिल,
पुकारे वो उधर हमको, इधर दम क्यों निकलता है।
होता है राजे-इश्को-मुहब्बत इन्हीं से फाश,
आँखें जुबाँ नहीं है मगर बेजुबाँ नहीं।
कोई दीवाना दौड़ के लिपट न जाये कहीं,
आँखों में आँखें डालकर देखा न कीजिए।
देखो न आँखें भरकर किसी के तरफ कभी,
तुमको खबर नहीं जो तुम्हारी नजर में हैं।
मुस्कुरा के देखा तो कलेजे में चुभ गयी,
खँजर से भी तेज़ लगती हैं आँखें जनाब की।
ख़ुदा बचाए तेरी मस्त-मस्त आँखों से,
फ़रिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है।
जो उनकी आँखों से बयां होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
मुझ से कहती थीं वो शराब आँखें,
आप वो ज़हर मत पिया कीजिये।
तमाम अल्फाज़ नाकाफी लगे मुझको,
एक तेरी आँखों को बयां करने में।
पैगाम लिया है कभी पैगाम दिया है,
आँखों ने मोहब्बत में बड़ा काम किया है।
ये कायनात सुराही थी, जाम आँखें थीं,
मुवसलत का पहला निज़ाम आँखें थीं।
नशीली आँखों से वो जब हमें देखते हैं,
हम घबरा कर आँखें झुका लेते हैं,
कौन मिलाये उन आँखों से आँखें,
सुना है वो आँखों से अपना बना लेते हैं।
हम भटकते रहे थे अनजान राहों में,
रात दिन काट रहे थे यूँ ही बस आहों में,
अब तमन्ना हुई है फिर से जीने की हमें,
कुछ तो बात है सनम तेरी इन निगाहों में।
आपने नज़र से नज़र जब मिला दी,
हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी,
जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके,
पर आँखों ने दिल की कहानी सुना दी।
जीना मुहाल कर रखा है मेरी इन आँखों ने,
खुली हो तो तलाश तेरी बंद हो तो ख्वाब तेरे।
क्या कशिश थी उस की आँखों में मत पूछो.
मुझ से मेरा दिल लड़ पड़ा मुझे यही चाहिये?
सिर्फ आँखों को देख के कर ली उनसे मोहब्बत,
छोड़ दिया अपने मुक़द्दर को उसके नक़ाब के पीछे।
मैं खुदगर्ज़ हूँ इतना कि बस यही चाहूँ,
रहें हमेशा मेरी मुन्तज़िर तेरी आँखें।
आँखों में हया हो तो
पर्दा दिल का ही काफी है,
नहीं तो नक़ाब से भी होते हैं,
इशारे मोहब्बत के।
देखा है मेरी नजरों ने
एक रंग छलकते पैमाने का,
यूँ खुलती है आंख किसी की
जैसे खुले दर मैखाने का।