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माँ के ऊपर बनी 100+ दिल छू लेने वाली Maa Shayari in Hindi - शायरियाँ

नमस्ते दोस्तों! कैसे हैं आप सब? आज हम आपके लिए माँ के ऊपर बनी 40+ दिल छू लेने वाली Maa Shayari in Hindi" लेकर आये हैं। माँ, एक ऐसा शब्द जिसमें पूरी दुनिया का प्यार और त्याग समाया हुआ है। माँ के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस पोस्ट में हमने आपके लिए चुन चुन के 40+ Best Maa Shayari है जो आपके दिल को छू जाएंगी हमें उम्मीद आपको माँ के ऊपर बनी 40+ दिल छू लेने वाली Maa Shayari Hindi में जरूर पसंद आएगा

माँ के ऊपर बनी 40+ दिल छू लेने वाली Maa Shayari in Hindi - शायरियाँ


 पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन, 
 इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है। 
 कल माँ की गोद में, आज मौत की आग़ोश में, 
 हम को दुनिया में ये दो वक़्त बड़े सुहाने से मिले। 
 आँसू निकले परदेस में भीगा माँ का प्यार, 
 दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार। 
 भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी, 
 माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख लेती है। 
 है गरीब मेरी माँ फिर भी मेरा ख्याल रखती है, 
 मेरे लिए रोटी और अपने लिए पतीले की खुरचन रखती है। 
 बालाएं आकर भी मेरी चौखट से लौट जाती हैं, 
 मेरी माँ की दुआएं भी कितना असर रखती हैं। 


 बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा, 
 मैं अपने पर्स में रखी माँ की तस्वीर को देख लेता हूँ। 
 बेसन की रोटी पर, खट्टी चटनी सी माँ... 
याद आती है चौका, बासन, चिमटा, फूंकनी जैसी माँ। 
 शहर में आ कर पढ़ने वाले ये भूल गए, 
 किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था। 
 वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने माँ पुकारा मुझे, 
 मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई। 
 नींद भी भला इन आँखों में कहाँ आती है, 
 एक अर्से से मैंने अपनी माँ को नहीं देखा। 
 जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई, 
 देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई। 
 मेरी माँ 
 माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा, 
 माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा, 
 खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत, 
 सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा।
 कोई दुआ असर नहीं करती, 
 जब तक वो हम पर नजर नहीं करती, 
 हम उसकी खबर रखे न रखे, 
 वो कभी हमें बेखबर नहीं करती। 
 यूं ही नहीं गूंजती किलकारियां‬ घर आँगन‬ के कोने में, 
 जान ‎हथेली‬ पर रखनी‪ पड़ती है माँ को माँ‬ होने में।
 जब जब कागज पर लिखा, मैने माँ का नाम, 
 कलम अदब से बोल उठी, हो गये चारो धाम। 
 ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं, 
 इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।

 मेरी तक़दीर में कभी कोई गम नही होता, 
 अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता। 
 मेरी तक़दीर में कभी कोई गम नही होता, 
 अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता।
 खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से, 
 बासी भी हो गई हैं, 
 तो लज़्ज़त वही रही। 


 जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ, 
 मेरे रब के बाद मैं बस अपनी माँ को जानता हूँ। 
 खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी, 
 जब मैंने मुस्कुराती हुई माँ देखी। 
 दिल तोड़ना कभी नहीं आया मुझे, 
 प्यार करना जो सीखा है माँ से। 
 जन्नत का हर लम्हा, दीदार किया था, 
 गोद मे उठाकर जब माँ ने प्यार किया था। 
 कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती, 
 सब कुछ मिल जाता है पर माँ नहीं मिलती। 
 तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं 
 माँ मेंहगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं
 माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ, 
 थक गया हूँ मुझे अपने आँचल मे सुलाओ, 
 उंगलियाँ अपनी फेर कर बालो में मेरे, 
 एक बार फिर से बचपन कि लोरियां सुनाओ। 
 ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं, 
 हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं, 
 तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं, 
 मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं। 
 दिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने मे गुजर गयी, 
 रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गयी, 
 जिस मकान मे तेरे नाम की तख्ती भी नहीं है, 
 सारी उम्र उस मकान को बनाने मे गुजर गयी। 
 किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं, 
 टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है। 
 कदम जब चूमले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है, 
 दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है। 
एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई... 
मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है। 
 शायद यूँही सिमट सकें घर की ज़रूरतें, 
 ‘तनवीर’ माँ के हाथ में अपनी कमाई दे। 
 दुआ को हाथ उठाते हुए लरज़ता हूँ आरिफ़, 
 कभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए। 
 इसलिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर, 
 मेरी शह-रग पे मेरी माँ की दुआ रखी थी। 
 ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले आज, 
 दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है।
 ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, 
 मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है।
 चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है, 
 मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है। 
 पहले ये काम बड़े प्यार से माँ करती थी, 
 अब हमें धूप जगाती है तो दुःख होता है। 
 मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है, 
 कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है। 
 मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीं, 
 सिर्फ़ इक काग़ज़ पे लिक्खा लफ़्ज़—ए—माँ रहने दिया।
 माँ ! के आगे यूँ ही कभी खुल कर नहीं रोना, 
 जहाँ बुनियाद हो, 
 इतनी नमी अच्छी नहीं होती। 
 मुझे कढ़े हुए तकिये की क्या ज़रूरत है, 
 किसी का हाथ अभी मेरे सर के नीचे है। 
 मेरी माँ 
 बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता दोस्तो, 
 कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता। 
 मेरे चेहरे पे ममता की फ़रावानी चमकती है, 
 मैं बूढ़ा हो रहा हूँ फिर भी पेशानी चमकती है। 
 आँखों से माँगने लगे पानी वज़ू का हम, 
 काग़ज़ पे जब भी देख लिया माँ लिखा हुआ। 
 हादसों की गर्द से... ख़ुद को बचाने के लिए, 
 माँ हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे। 
 किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आयी, 
 मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आयी। 
 ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया, 
 माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया। 
 इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है, 
 माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है। 
 मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ, 
 माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ। 
 ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे, 
 माँ ! तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे। 
 ए मुसीबत जरा सोच के आ मेरे करीब, 
 कही मेरी माँ की दुआ तेरे लिए मुसीबत ना बन जाये। 
 अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा, 
 मैं जब घर से निकलता हूँ दुआएं भी साथ चलती है। 
 कुछ नहीं होगा तो आँचल में छुपा लेगी मुझे, 
 माँ ! कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी। 
 दिन भर की मशक़्क़त से बदन चूर है लेकिन 
 माँ ने मुझे देखा तो थकान भूल गयी अपनी। 
 दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं, 
 कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है। 
 हैरान हो जाता हूँ मैं अक़्सर, 
 देखकर खुदाओं के दर पे हुजूम, 
 माँ, 
 तेरी गोद में मुझे, 
 जन्नत का एहसास होता है। 
 रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये, 
 चोट लगती है हमें और तड़पती है माँ, 
 हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें, 
 जब मुसीबत आती है तो याद आती है माँ। 
 सब कुछ मिल जाता है दुनिया में मगर, 
 याद रखना कि माँ-बाप नहीं मिलते, 
 मुरझा कर जो गिर जाये एक बार डाली से, 
 ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।  
 चलती फिरती आंखों से अजां देखी है, 
 मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है। 
 मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा 
 झुक कर करू तेरा सजदा 
 तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए 
 ना कर कभी मुझे माँ से जुदा! 
 जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ, 
 में खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ। 
 मां वो सितारा है जिसकी गोद में जाने के लिए हर कोई तरसता है, 
 जो मां को नहीं पूछते वो जिंदगी भर जन्नत को तरसता है। 
 माँ की बूढी आंखों को अब कुछ दिखाई नहीं देता, 
 लेकिन वर्षों बाद भी आंखों में लिखा हर एक अरमान पढ़ लिया। 
 ना आसमां होता ना जमीं होती, 
 अगर मां तुम ना होती। 
 घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए, 
 लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई। 
 मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है, 
 मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है। 
 हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं, 
 पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं। 
 मुसीबतों ने मुझे काले बादल की तरह घेर लिया, 
 जब कोई राह नजर नहीं आई तो मां याद आई। 
 दुआ है रब से वो शाम कभी ना आए, 
 जब माँ दूर मुझसे हो जाए। 
 जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया, 
 मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया। 
 किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता, 
 शायद अब घर से कोई मां के पैर छूकर नहीं निकलता। 
 रूह के रिश्तो की यह गहराइयां तो देखिए, 
 चोट लगती है हमें और दर्द मां को होता है।
 हम खुशियों में मां को भले ही भूल जाए, 
 जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है मां। 
 खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी… 
 जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी.. 
 सख्त राहों में भी आसान सफर लगता है, 
 यह मेरी मां की दुआओं का असर लगता है। 
 हालात बुरे थे मगर अमीर बना कर रखती थी, 
 हम गरीब थे यह बस हमारी मां जानती थी।
 जब जब कागज पर लिखा मैंने मां का नाम, 
 कलम अदब से बोल उठी हो गए चारों धाम 
मां तेरे एहसास की खुशबू हमेशा ताजा रहती है, 
तेरी रहमत की बारिश से मुरादें भीग जाती है। 
तकिए बदले हमने बेशुमार लेकिन तकिए हमें सुलाते नहीं, 
बेखबर थे हम कि तकिए में मां की गोद को तलाशते नहीं। 
 राहे मुश्किल थी रोकने की कोशिश बहुत की, 
 लेकिन रोक न पाए क्योंकि मैं घर से मां के पैर छू निकला था। 
 जब दवा काम नहीं आती है, 
 तब माँ की दुआ काम आती है।
 कोई सरहद नहीं होती, 
 कोई गलियारा नहीं होता, 
 अगर मां की बीच होती, 
 तो बंटवारा नहीं होता। 
 मुश्किल घड़ी में ना पैसा काम आया, 
 ना रिश्तेदार काम आये, 
 आँख बंद की तो सिर्फ मां याद आयी। 
 उम्र भर खाली यूं ही मकान हमने रहने दिया, 
 तुम गए तो दूसरे को कभी यहां रहने ना दिया, 
 मैंने कल सब चाहतों की किताबे फाड़ दी, 
 सिर्फ एक कागज पर लिखा मां रहने दिया। 
 कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है, 
 जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है। 
 हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका, 
 दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका। 
 काम से घर लौट कर आया तो सपने को क्या लाए, 
 बस एक मां ने पूछा बेटा कुछ खाया कि नहीं। 
 हर गली, 
 हर शहर, 
 हर देश-विदेश देखा, 
 लेकिन मां तेरे जैसा प्यार कहीं नहीं देखा। 
 पैसो से सब कुछ मिलता है पर, 
 माँ जैसा प्यार कही नही मिलता। 
 कभी चाउमीन, कभी मैगी, कभी पीजा खाया लेकिन, 
 जब मां के हाथ की रोटी खायी तब ही पेट भर पाया। 
 माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा, 
 माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा, 
 खुदा ने रख दी हो जिस के कदमो में जन्नत, 
 सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा। 
 हजारो गम है जिन्दगी में, 
 फिर माँ मुस्कराती है, 
 तो हर गम भूल जाता हू। 
 माँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा! 
 तू है नाराज ती खुश मुझसे खुदा क्या होगा! 
 माँ खुद भूखी होती है, मुझे खिलाती है, 
 खुद दुःखी होती है, मुझे चेन की नींद सुलाती है। 
 हर झुला झूल के देखा पर, 
 माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा। 
 जो सब पर कृपा करे उसे ईश्वर कहते है, 
 जो ईश्वर को भी जन्म दें उसे मां कहते है। 
 जो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते है, 
 और जो खुशियों का वरदान दे उसे मां कहते है। 
 भटकती हुई राहों की धूल था मैं 
 जब मां के चरणों को छुआ तो 
 चमकता हुआ सितारा बन गया। 
 पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन, 
 बस इक औलाद के सितम से माँ टूट जाती है। 
 मां तो वो है जो अगर खुश होकर सर पर हाथ रख दे, 
 तो दुश्मन तो क्या काल भी घबरा जाए। 
 जब नींद नहीं आती, 
 तब मां की लोरी याद आती है। 
 मां कहती नहीं लेकिन सब कुछ समझती है, 
 दिल की और जुबां की दोनों भाषा समझती है। 
 मां की दुआ को क्या नाम दूं, 
 उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है। 
 बिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती है, 
 बिन कहे जो गलती माफ़ कर दे वो माँ है। 
 बर्तन माज कर माँ चार बेटो को पाल लेती है, 
 लेकिन चार बेटो से माँ को दो वक्त की रोटी नही दी जाती। 
 खाली पड़ा था मकान मेरा, 
 जब माँ घर आयी तो घर बना।
 उसकी डांट में भी प्यार नजर आता है, 
 माँ की याद में दुआ नजर आती है। 
 बिना हुनर के भी वो चार ओलाद पाल लेती है, 
 कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी। 
 तन्हाई क्या होती उस माँ से पूछो, 
 जिसका बेटा घर लोट कर नही आया।
 रब से करू दुआ बार-बार 
 हर जन्म मिले मुझे माँ का प्यार 
 खुदा कबूल करे मेरी मन्नत 
 फिर से देना मुझे माँ के आंचल की जन्नत।
 न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी, 
 माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।
 माँ कर देती है पर गिनाती नहीं है, 
 वो सह लेती है पर सुनाती नहीं है।

दोस्तों, उम्मीद है कि आपको यह "माँ के ऊपर बनी 40+ दिल छू लेने वाली Maa Shayari in Hindi" पोस्ट पसंद आई होगी। माँ का प्यार अतुलनीय है, और इन शायरियों के जरिए हमने उनके त्याग और ममता को व्यक्त करने की कोशिश की है। 

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