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Heart Broken (Intezaar) Shayari | इंतज़ार की दर्द भरी शायरी

क्या आपने कभी महसूस किया है कि दिल टूटने का दर्द और भी बढ़ जाता है जब इंतज़ार की घड़ी लंबी हो जाती है? उन क्षणों में, जब आपकी धड़कनें भी आपकी उम्मीदों की तरह धीमी हो जाती हैं, एक दिल को सुकून देने वाली शायरी ही आपकी भावनाओं को सही शब्द दे सकती है।

इस ब्लॉग पोस्ट में, हम आपके लिए लेकर आए हैं 'इंतज़ार की दर्द भरी शायरी' जो आपके दिल की गहराईयों को छूने का वादा करती है। पढ़िए और जानिए कि कैसे ये शायरी आपके दिल की बेचैनी को कम कर सकती है और आपकी भावनाओं को एक नई आवाज दे सकती है।

Heart Broken (Intezaar) Shayari | इंतज़ार की दर्द भरी शायरी
Heart Broken (Intezaar) Shayari | इंतज़ार की दर्द भरी शायरी

Heart Broken (Intezaar) Shayari

 ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुजर गए, 
 आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुजर गए, 
 ओ जाने वाले आ कि तेरे इंतजार में, 
 रास्ते को घर बनाए ज़माने गुजर गए। 
 रहेगा इश्क़ तेरा ख़ाक में मिला के मुझे, 
 कि इब्तिदा में हुए रंज इन्तेहाँ के मुझे, 
 दिए हैं हिज्र में दुःख-दर्द बला के मुझे, 
 शब-ए-फिराक़ ने मारा है लिटा-लिटा के मुझे। 

 2 Line इंतज़ार की दर्द भरी शायरी

 दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, 
 न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है। 
 किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार को तुम्हें, 
 बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूंढ़ता है खामोशी से तुझे। 
 दिन रात की बेचैनी है, ये आठ पहर का रोना है, 
 आसार बुरे हैं फुरकत में, मालूम नहीं क्या होना है। 
 उठा कर चूम ली हैं चंद मुरझाई हुई कलियाँ, 
 तुम न आये तो यूँ जश्न-ए-बहारां कर लिया मैंने। 
 इंतज़ारे-फस्ले-गुल में खो चुके आँखों के नूर, 
 और बहारे-बाग लेती ही नहीं आने का नाम। 
 खुद हैरान हूँ मैं अपने सब्र का पैमाना देख कर, 
 तूने याद भी ना किया और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा। 
 वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी, 
 इंतज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे। 
 आँखों ने जर्रे-जर्रे पर सजदे लुटाये हैं, 
 क्या जाने जा छुपा मेरा पर्दानशीं कहाँ। 

Heart Broken (Intezaar) Shayari

 रक़्स-ए-सबा के जश्न में हम तुम भी नाचते, 
 ऐ काश तुम भी आ गए होते सबा के साथ। 
 न जाने कब का पहुँच भी चुका सर-ए-मंजिल, 
 वो शख्स जिस का हमें इंतज़ार राह में है। 
 उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का, 
 पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का। 
 हर आहट पर साँसें लेने लगता है, 
 इंतज़ार भी भला कभी मरता है। 
 ये जो पत्थर है आदमी था कभी, 
 इस को कहते हैं इंतज़ार मियां। 
 रात क्या होती है हमसे पूछिए, 
 आप तो सोये सवेरा हो गया। 
 कब आ रहे हो मुलाकात के लिये, 
 हमने चाँद रोका है एक रात के लिये। 
 वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर, 
 दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए।  
 हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन, 
 उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर। 
 आँखें रहेंगीं शाम-ओ-शहर मुन्तज़िर तेरी, 
 आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम। 
 अब इन हदों में लाया है इंतज़ार मुझे, 
 वो आ भी जायें तो आये न ऐतबार मुझे। 
इस शहर-ए-बे-चराग में जाएगी तू कहाँ, 
 आ ऐ शब-ए-फिराक़ तुझे घर ही लें चलें। 
 यकीन है कि न आएगा मुझसे मिलने कोई, 
 तो फिर ये दिल को मेरे इंतज़ार किसका है। 
 कभी किसी का जो होता था इंतज़ार हमें, 
 बड़ा ही शाम-ओ-सहर का हिसाब रखते थे। 

इंतज़ार की दर्द भरी शायरी

 आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया, 
 चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया, 
 दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए, 
 कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया। 
 उसी तरह से हर इक ज़ख्म खुशनुमा देखे, 
 वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे, 
 गुजर गए हैं बहुत दिन रफाकत-ए-शब में, 
 इक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे। 
 कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए, 
 हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए, 
 आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर, 
 बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए। 

Painful Shayari on Intezar 

 मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो, 
 इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं। 
 आधी से ज्यादा शबे-ग़म काट चुका हूँ, 
 अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है। 
 कासिद पयामे-शौक को देना बहुत न तूल, 
 कहना फ़क़त ये उनसे कि आँखें तरस गयीं। 
 बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद, 
 बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं। 
 एक आरज़ू है अगर पूरी परवरदिगार करे, 
 मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे। 
 निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया, 
 भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का। 
 जान देने का कहा मैंने तो हँसकर बोले, 
 तुम सलामत रहो हर रोज के मरने वाले, 
 आखिरी वक़्त भी पूरा न किया वादा-ए-वस्ल, 
 आप आते ही रहे मर गये मरने वाले। 
 झोंका इधर से न आये नसीम-ए-बहार का, 
 नाज़ुक बहुत है फूल चराग-ए-मज़ार का, 
 फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उसने कर दिया, 
 फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतज़ार का। 
 तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे हैं, 
 तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे हैं, 
 तू एक नजर हम को देख ले बस, 
 इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं। 
 बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले, 
 कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले। 
 दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर, 
 वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
 तमाम उम्र तेरा इंतज़ार कर लेंगे, 
 मगर ये रंज रहेगा कि ज़िंदगी कम है।
 उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख, 
 हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।
 ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी, 
 किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी। 
 ये आँखे कुछ तलाशती रहती हैं, 
 कोई तो है जिस का इन्हें इंतजार है। 
 रात भर जागते रहने का सिला है शायद, 
 तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है। 

Best Intezaar Shayari

 न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद, 
 मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था। 
 कमाल-ए-इश्क़ तो देखो वो आ गए लेकिन, 
 वही है शौक़ वही इंतज़ार बाक़ी है। 
 ये इंतज़ार सहर का था या तुम्हारा था, 
 दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी। 
 मुद्दत हुई पलक से पलक आशना नहीं, 
 क्या इससे अब ज्यादा करे इंतज़ार चश्म। 
 तमाम रात मेरे घर का एक दर खुला रहा, 
 मैं राह देखता रहा वो रास्ता बदल गया। 
 कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़, 
 किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।
 जो तेरी मुंतज़िर थीं वो आँखें ही बुझ गई, 
 अब क्यों सजा रहा है चिरागों से शाम को। 
 कुछ रोज़ यह भी रंग रहा तेरे इंतज़ार का, 
 आँख उठ गई जिधर बस उधर देखते रहे। 
 मुद्दत से ख्वाब में भी नहीं नींद का ख्याल, 
 हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतज़ार है। 
 फिर मुक़द्दर की लकीरों में लिख दिया इंतज़ार, 
 फिर वही रात का आलम और मैं तन्हा-तन्हा। 
 किसी रोज़ होगी रोशन मेरी भी ज़िंदगी, 
 इंतज़ार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का है। 
 पलकों पर रूका है समन्दर खुमार का, 
 कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का। 
 मिलने से भी अजीज है मिलने की आरजू, 
 है वस्ल से भी जियादा मजा इंतज़ार में। 
 तमाम उम्र यूँ ही हो गयी बसर अपनी, 
 शबे-फिराक गयी, 
 रोजे-इंतज़ार आया। 
इक मैं कि इंतज़ार में घड़ियाँ गिना करूँ,
इक तुम कि मुझसे आँख चुराकर चले गये।
 इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के, 
 अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के। 
 एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यूँ है, 
 इन्कार करने पर चाहत का इकरार क्यूँ है, 
 उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद, 
 फिर भी हर मोड़ पर उसका इंतजार क्यूँ है। 
 वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे, 
 हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे, 
 वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न था, 
 हम यूँ ही सारी रात करवट बदलते रहे। 

दिल को छू लेने वाली Intezaar Shayari

 वो कह कर गया था मैं लौटकर आउंगा, 
 मैं इंतजार ना करता तो क्या करता, 
 वो झूठ भी बोल रहा था बड़े सलीके से, 
 मैं एतबार ना करता तो क्या क्या करता। 
 आदतन तुमने कर दिये वादे, 
 आदतन हमने भी ऐतबार किया, 
 तेरी राहों में हर बार रुककर, 
 हमने अपना ही इंतजार किया। 
 झुकी हुई पलकों से उनका दीदार किया, 
 सब कुछ भुला के उनका इंतजार किया, 
 वो जान ही न पाए जज्बात मेरे, 
 जिन्हें दुनिया से बढ़कर मैंने प्यार किया। 
 शबे-इंतज़ार की कशमकश में 
 न पूछ कैसे सहर हुई, 
 कभी एक चिराग जला दिया 
 कभी एक चिराग बुझा दिया।
 मेरी इक उमर कट गई है तेरे इंतज़ार में, 
 ऐसे भी हैं कि कट न सकी जिनसे एक रात। 
 अब तेरी मोहब्बत पर मेरा हक तो नहीं सनम, 
 फिर भी आखिरी साँस तक तेरा इंतजार करेंगे। 
 ये कह कह के हम दिल को समझा रहे हैं, 
 वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं। 
 उठ-उठ के किसी का इंतज़ार करके देखना, 
 कभी तुम भी किसी से प्यार करके देखना। 
 उम्र-ए-दराज माँग कर लाये थे चार दिन, 
 दो आरज़ू में कट गए दो इंतज़ार में। 
 आप करीब ही न आये इज़हार क्या करते, 
 हम खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते, 
 साँसे साथ छोड़ गयीं पर खुली रखी आँखें, 
 इस से ज्यादा किसी का इंतज़ार क्या करते। 
 मुझको अब तुझ से मोहब्बत नहीं रही, 
 ऐ ज़िंदगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही, 
 बुझ गये अब उसके इंतज़ार के वो दिए, 
 कहीं आस-पास भी उस की आहट नहीं रही। 
 उनका भी कभी हम दीदार करते थे, 
 उनसे भी कभी हम प्यार करते थे, 
 क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी 
 पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते थे। 
 मुझे हर पल तेरा इंतज़ार रहता है, 
 हर लम्हा मुझे तेरा एहसास रहता है, 
 तुझ बिन धडकनें रुक सी जाती हैं, 
 कि तू दिल में धड़कन बनके रहता है। 
 तू याद करे न करे तेरी ख़ुशी, 
 हम तो तुझे याद करते रहते हैं, 
 तुझे देखने को दिल तरसता रहता है, 
 और हम तेरा इंतज़ार करते रहते हैं। 
 उदास आँखों में करार देखा है, 
 पहली बार उसे बेक़रार देखा है, 
 जिसे खबर ना होती थी मेरे आने की, 
 उसकी आँखों में अब इंतज़ार देखा है। 
 तड़प के देख किसी की चाहत में, 
 तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है, 
 यूँ मिल जाए अगर कोई बिना तड़प के, 
 तो कैसे पता चले कि प्यार क्या होता है? 

Intezaar Shayari in Hindi

 मत इंतज़ार कराओ हमें इतना, 
 कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये, 
 क्या पता कल तुम लौटकर आओ, 
 और हम खामोश हो जाएँ। 
 बेखुदी ले गई कहाँ हमको, 
 देर से इंतज़ार है अपना, 
 रोते फिरते हैं सारी-सारी रात, 
 अब यही बस रोज़गार है अपना। 
 कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नहीं देखा, 
 तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा, 
 ये सोच कर कि तुम्हारा इंतजार लाजिम है, 
 तमाम उम्र घड़ी की तरफ नहीं देखा। 
 वफ़ा में अब यह हुनर इख़्तियार करना है, 
 वो सच कहें या ना कहें बस ऐतबार करना है, 
 यह तुझको जागते रहने का शौक कबसे हो गया, 
 मुझे तो खैर बस तेरा इंतज़ार करना है। 
 मेरे दिल की हर धड़कन तुम्हारे लिए है, 
 मेरी हर दुआ तुम्हारी मुस्कराहट के लिए है। 
 तुम्हारी हर अदा मेरे दिल को चुराने के लिए है, 
 अब तो मेरी जिंदगी तुम्हारे इंतज़ार के लिए है। 
 कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर, 
 वो मिले भी तो एक किनारा बनकर, 
 हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह, 
 बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर। 
 कोई शाम आती है आपकी याद लेकर, 
 कोई शाम जाती है आपकी याद देकर, 
 हमें तो इंतज़ार है उस हसीन शाम का, 
 जो आये कभी आपको अपने साथ लेकर। 
 टूट गया दिल पर अरमां वही है, 
 दूर रहते हैं फिर भी प्यार वही है, 
 जानते हैं कि मिल नहीं पायेंगे, 
 फिर भी इन आँखों में इंतज़ार वही है। 
 आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं, 
 हर वक़्त आपको ही बस याद करती हैं, 
 जब तक ना कर लें दीदार आपका, 
 तब तक वो आपका इंतज़ार करती हैं। 
 इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा, 
 यादें कटती हैं ले ले कर नाम तेरा, 
 मुद्दत से बैठे हैं यह आस पाले, 
 कि कभी तो आएगा कोई पैगाम तेरा। 
 ग़जब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया, 
 तमाम रात किया क़यामत का इंतज़ार किया। 
 देखा न होगा तू ने मगर इंतज़ार में, 
 चलते हुए वक़्त को ठहरते हुए भी देख। 
 तेरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते, 
 अगर अपनी ज़िन्दगी पर हमें ऐतबार होता। 
 ऐसी ही इंतज़ार में लज़्ज़त अगर न हो, 
 तो दो घड़ी की फ़िराक़ में अपनी बसर न हो। 
 चले भी आओ तसव्वर में मेहरबां बनकर, 
 आज इंतज़ार तेरा दिल को हद से ज्यादा है। 
 कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़, 
 कहीं कबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी। 
 हमने तो उस शहर में भी किया इंतज़ार तेरा, 
 जहाँ मोहब्बत का कोई रिवाज़ न था। 
 उन के खत की आरज़ू है उन की आमद का ख्याल, 
 किस कदर फैला है ये कारोबार-ए-इंतज़ार। 

खास शायरी देखें

Conclusion 

इंतज़ार की दर्द भरी शायरी के माध्यम से, हमने आपके दिल की गहराइयों में छिपी भावनाओं को शब्दों में ढाला है। इस पोस्ट के जरिए, हम उम्मीद करते हैं कि आपने अपने दिल की बेचैनी को समझा और उस दर्द को शब्दों के सहारे राहत दी। शायरी की ये पंक्तियाँ आपकी भावनाओं को समझने और उन्हें व्यक्त करने में मददगार साबित हो सकती हैं। हमें विश्वास है कि इस शायरी का हर शब्द आपके दिल की गहराई में एक खास जगह बनाएगा और आपको सुकून का एहसास कराएगा।

इंतज़ार की दर्द भरी शायरी के इस संकलन के साथ हमने आपकी भावनाओं को शब्दों में ढाला है। यदि आपको यह शायरी पसंद आई हो और आपके दिल को छू गई हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें। यह शायरी शायद किसी और के दिल को भी सुकून और समझ का एहसास दे सके। शेयर करने से हमारे प्रयासों को और भी अधिक पहुंच मिलेगी और हम ऐसे ही दिल को छूने वाली शायरी आपके लिए लाते रहेंगे।

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